Abstract: महायान सूत्रों में पारमिताषट्क का उल्लेख है। ये षट् पारमिताएँ हैं- दान, शील, क्षान्ति, वीर्य, ध्यान एवं प्रज्ञापारमिता। इनमें प्रज्ञा को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। बौद्ध दर्शन में यह विशुद्ध एवं निर्विकल्पक ज्ञान है जो सामान्य बुद्धि से भिन्न है। महायान शाखा में शून्यता चतुष्कोटिविनिर्मुक्त तत्त्व है, विशुद्ध प्रज्ञा द्वारा ही जिसका साक्षात्कार किया जा सकता है। विशुद्धज्ञानस्वरूपा इस प्रज्ञा का अन्य दर्शनों अथवा शास्त्रों में भी उपयोगितानुसार वर्णन प्राप्त होता है। अन्य दर्शनों एवं शास्त्रों में भी यह प्रज्ञा ऐसे निर्विकल्पक ज्ञान के रूप में व्याख्यायित है, जो परमार्थ या सारतत्त्व है तथा सारतत्त्व तक पहुँचने का माध्यम भी है। इसीलिए बौद्धदर्शन में प्रज्ञापारमिता सर्वतथागतजननी, धर्ममुद्रा, धर्माेल्का, धर्मभेरी एवं सर्वसुख हेतु है।